Tuesday, May 12, 2015

हम चाहते थे.......................

हम चाहते थे की कभी बड़े ना बने पर चाहने से क्या होता है !
हम चाहते थे हालात कड़े ना बने पर चाहने से क्या होता है !

हम सोचते थे दुनिया जीत लेंगे पर सोचने से क्या होता है !
हम सोचते थे समय के विपरीत चलेंगे पर सोचने से क्या होता है !

हम खोल कर सीना चले बिन परवाह के
दबे नहीं किसी के भी दबाव से !
बहुत खोदा तो जा के खुशियाँ अर्जित हुई
किस्मत भी हौसले देख पराजित हुई !
आधे थे कपडे, आधा मकान, रोटी आधी
अश्रुओं से नम कर दो मेरी समाधी !

हम चाहते थे मरना  पर मरने से क्या होता है !
हम चाहते थे मारना पर मारने से क्या होता है !

हम चाहते थे की वो आये और कुछ बातें करें,
पर चाहने से क्या होता है !!